हनुमान जी की आरती एक ऐसी भक्ति गीत है जो हमारे दिल को शांति और ताकत दोनों देती है। जब बात आती है हरिहरन जैसे मशहूर गायक के द्वार गई हनुमान जी की आरती की, तो उसका एक अलग ही एहसास होता है।
हरिहरन की मधुर आवाज और भक्ति भरा अंदाज इस आरती को और भी ज्यादा दिल को छूने वाली बना देता है। आज कल काई लोग आरती को अपने दिन की शुरुआत करते हैं, या फिर जब मन उदास होता है तब अपनी हिम्मत बढ़ाने के लिए।
क्या आरती में हनुमान जी के बल हैं, भक्ति और सेवा के गुणों का वर्णन है, जो हर भक्त के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है। हरिहरन की भावपूर्ण गायकी के साथ, ये आरती एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाती है जो आपके मन को शांत और आत्मा को प्रकाशित कर देती है।
हरिहरन कौन है?
हरिहरन एक बहुत ही मशहूर भारतीय पार्श्व गायक और शास्त्रीय गायक हैं। उनकी आवाज़ इतनी भावपूर्ण और अभिव्यंजक है कि सुनते ही दिल को सुकून मिलता है। हरिहरन ने अपने करियर की शुरुआत शास्त्रीय संगीत से की थी, लेकिन बाद में उन्हें फिल्मी गाने, भक्ति गीत और फ्यूजन संगीत में भी अपनी पहचान बनाई। उनका संगीत शैली अनोखा है – वो शास्त्रीय सुरों को आधुनिक स्पर्श के साथ मिला कर गाते हैं, जो हर पीढ़ी के लोगों को पसंद आता है।
हरिहरन ने कई भक्ति गीतों को भी अपनी आवाज दी है, जिसमें हनुमान जी की आरती भी शामिल है। उनकी आवाज में जो भक्ति और जज़्बा होता है, वो सुनने वालों के मन को सीधा हनुमान जी के सामने ले जाता है। इसलिए जब हरिहरन हनुमान जी की आरती गाते हैं, तो वो एक अलग ही आध्यात्मिक भावना पैदा करते हैं, जो सभी भक्तों के लिए एक विशेष अनुभव होता है।
हरिहरन श्री हनुमान जी की आरती लिरिक्स हिंदी में (HINDI में)
|| लाल देह लाली लसै अरु धरी लाल लंगुर बज्र देह दानव
दलन जय जय जय कपी सुर पवन सुत हनुमान की जय ||
||आरती कीजे हनुमान लला की
आरती कीजे हनुमान लला की||
||आरती कीजे हनुमान लला की
आरती कीजे हनुमान लला की||
||दुष्ट दलन रघुनाथ कला की
आरती कीजे हनुमान लला की||
|| आरती कीजे हनुमान लला की ||
|| जाके बल से गिरिवर कांपें
रोग दोष जाके निकट ना झापें,
अंजनी पुत्र महा बलदाई
संतन के प्रभु सदा सुहाई ||
|| आरती कीजे हनुमान लला की
आरती कीजे हनुमान लला की ||
|| दे बीरा रघुनाथ पठाए
लंका जारि सिय सुधि लाए,
लंका सो कोट समुद्र सी खाई
जात पवनसुत बार न लाई ||
|| लंका जारि असुर संहारे
सियाराम जी के काज सवारें||
|| आरती कीजे हनुमान लला की
आरती कीजे हनुमान लला की ||
|| लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारें
आनी संजीवन प्राण उबारें ||
पैठी पताल तोरी जम कारें
अहिरावण की भुजा उखारें ||
|| बाई भुजा असुर-दल मारें
दहिनी भुजा संत जन तारे ||
|| आरती कीजे हनुमान लला की
आरती कीजे हनुमान लला की ||
|| सुर नर मुनि आरती उतारें
जय जय जय हनुमान उचारें,
कंचन थाल कपूर लों छायीं
आरती करत अंजना माई ||
|| जो हनुमान की आरती गावें
बसी बैकुंठ परम पद पावें ||
|| आरती कीजे हनुमान लला की ||
|| आरती कीजे हनुमान लला की ||
|| आरती कीजे हनुमान लला की ||
|| आरती कीजे हनुमान लला की ||
हरिहरन श्री हनुमान जी की आरती लिरिक्स अंग्रेजी में (English में)
|| LAAL DEH LAALI LASAI ARU DHARI LAAL LANGUR BAJRA DEH
DAANAV DALAN JAI JAI JAI KAPI SUR PAWAN SUT HANUMAN KI JAI ||
|| AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI
AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
||AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI
AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
|| DUSHTDALAN RAGHUNATH KALA KI
AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI
AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
|| JAAKEIN BAL SE GIRIVAR KAANPEIN
ROG DOSH JAAKE NIKAT NA JHAANPEIN
ANJANI PUTRA MAHABALDAAI
SANTAN KE PRABHU SADAA SUHAAI ||
|| AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI
AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
|| DE BEERA RAGHUNATH PATHAAYE
LANKA JAARI SIYA SUDDHI LAAYE
LANKA SAU KOT SAMUDRA SI KHAAEIN
JAAT PAWAN SUT BAR NA LAAYEIN ||
|| LANKA JAARI ASUR SANHAARE
SIYARAM JI KE KAAJ SAWAARE ||
|| AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI
AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
|| LAKSHMAN MURCHHIT PADE SAKAARE
AANI SANJEEVAN PRAAN UBAARE
PAITHI PATAAL TORI JAM KAARE
AHIRAAVAN KI BHUJA UKHAARE ||
|| BAAYEIN BHUJA ASUR DAL MAARE
DAHINI BHUJA SANT JAN TAARE ||
|| AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI
AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
|| SUR NAR MUNI AARTI UTAAREIN
JAI JAI JAI HANUMAN UCHAAREIN
KANCHAN THAAL KAPOOR LAU CHAAI
AARTI KARAT ANJANA MAAI ||
|| JO HANUMAN KI AARTI GAAVEIN
BASI BAIKUNTH PARAMPAD PAAVEIN ||
|| AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
|| AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
|| AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
|| AARTI KEEJE HANUMAN LALAA KI ||
हरिहरन श्री हनुमान जी की आरती का महत्व
हनुमान जी की आरती सिर्फ एक गीत नहीं है, बल्कि भक्ति का एक शक्तिशाली रूप है। इसे गाने या सुनने से मन में शांति, हिम्मत और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
जब हम हनुमान जी की आरती करते हैं, तो वो एक तरह से उनके चरणों में अपनी श्रद्धा और प्रेम अर्पण करना होता है। हनुमान जी को “संकट मोचन” कहा जाता है, मतलब जो भी दिक्कत हो, वो उनका नाम लेने से दूर हो जाती है।
आरती के समय दिया, धूप, और घंटी की आवाज़ के साथ जब उनका गुण गान होता है, जिससे पूरा महौल पवित्र हो जाता है।
कहा जाता है कि जो भक्त नियम से हनुमान जी की आरती करता है, उसकी सुरक्षा स्वयं बजरंगबली करते हैं, और उसके जीवन में से डर, नकारात्मक सोच और बाधाएं दूर हो जाती हैं ।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- मन को शांति मिलती है और चित्त एकाग्रता होती है।
- हर मुश्किल और संकट में हौसला बनता है।
- भक्तों की सुरक्षा अपने बाल से करते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा द्वार होती है और घर में पवित्रता आती है।
- भक्ति का गहरा अनुभव होता है।
हरिहरन श्री हनुमान जी की आरती को गाने या सुनने का सही समय और विधि
हनुमान जी की आरती के दिन में कोई भी समय जा सकता है, लेकिन सुबह और शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है। सुबह आरती करने से पूरे दिन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, और शाम आरती करने से दिन भर की थकान और तनाव दूर हो जाती है।
सही समय:
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) या सूर्योदय के तुरंत बाद।
- शाम संध्या समय (सूर्यस्त के बाद)।
- मंगलवार और शनिवार को आरती का विशेष महत्व होता है।
विधि:
- स्नान करके साफ वस्त्र पहचानें।
- हनुमान जी के सामने एक दीया (तेल या घी का) जलाएं।
- धूप या अगरबत्ती प्रज्वलित करें।
- फूल, सिन्दूर और प्रसाद अर्पण करें (लड्डू या बूंदी विशेष रूप से)।
- आरती के गीत को श्रद्धा और ध्यान से गायें या सुनें।
- आरती के बाद हनुमान जी की जय-जयकार करें।
- प्रसाद सभी को बांट दें
ये विधि और समय का पालन करने से भक्ति का अनुभव और भी गहरा होता है, और हनुमान जी की कृपा सदा बनी रहती है।
हरिहरन जी द्वारा गाई गई हनुमान जी की आरती के लाभ
हरिहरन की आवाज में हनुमान जी की आरती सुनना एक अलग ही अनुभव देता है। उनकी मधुर, गहरी और भक्ति से भरी आवाज इंसान को शांत कर देती है और दिल में एक सुकून का एहसास जगाता है। ये आरती सिर्फ गीत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाती है जो भक्त को हनुमान जी से और करीब ले आता है।
मुख्य लाभ:
- भक्ति भावना गहरी होती है और श्रद्धा बढ़ती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है, नकारात्मक सोच दूर होती है।
- जीवन में संकटों का समाधान मिलता है।
- हनुमान जी की कृपा से हिम्मत, शक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
- घर का माहौल पवित्र और शांत बन जाता है।
हरिहरन की आवाज का असर इतना गहरा होता है कि आरती सुनते ही भक्त का ध्यान स्वयं हनुमान जी पर केन्द्रित हो जाता है, और मन एकदम हल्का लगता है।
आरती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
हनुमान जी की आरती एक पवित्र क्रिया है, इसलिए इसके समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि भक्ति का अनुभव और भी गहरा हो।
ध्यान रखें योग्य बातें:
- आरती से पहले शरीर और मन दोनों को पवित्र करें।
- आरती हमेशा श्रद्धा, शांत मन और ध्यान के साथ करें।
- दीया हमेशा घी या सरसों के तेल का जलाएं, और उसका मुख हनुमान जी की या हो।
- धूप या अगरबत्ती आरती के साथ जरूर जलाएं।
- आरती के गीत के शब्द सही उच्चारण के साथ गाएं या सुनें।
- आरती के समय पूजा स्थल में उचित रोशनी और साफ-सफाई हो।
- आरती के बाद हनुमान जी की जय-जयकार करें और प्रसाद बांटना न भूलें।
- आरती हमेशा समय पर करें, बिना जल्दी-बाजी के।
इन बातों का ध्यान रखने से आरती का असर बढ़ता है और हनुमान जी की कृपा सदा बनी रहती है।
निष्कर्ष
हरिहरन द्वार गई हनुमान जी की आरती सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक ऐसा भक्ति अनुभव है जो दिल को शांति, मन को एकाग्रता और जीवन में साकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। हरिहरन की मधुर आवाज और उनकी भक्ति भारी प्रस्तुति, आरती के शब्दों के साथ मिलकर एक ऐसी आध्यात्मिक लहर पैदा करती है जो भक्त को बजरंगबली के चरणों में ले जाती है।
हनुमान जी की आरती गाने या सुनने का महत्व सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बाल्की ये हमारे जीवन में हिम्मत, धैर्य और सुरक्षा का आशीर्वाद लाती है। मंगलवार और शनिवार के दिन आरती का विशेष महत्व होता है, लेकिन अगर आप इसे रोज करते हैं तो इसका असर और भी गहरा होता है।
चाहे दिन की शुरुआत हो या शाम दिन के अंतिम समय, हनुमान जी की आरती से घर का महल पवित्र होता है, मन की चिंता दूर होती है और संकटों से मुक्ति मिलती है। इसलिए, हरिहरन की आवाज में हनुमान जी की आरती को अपनी भक्ति की दिनचर्या में शामिल करें, आप बजरंगबली की कृपा सदा अपने साथ बना सकते हैं।
Frequently Asked Questions
हां, आप इसे किसी भी समय सुन सकते हैं, लेकिन सुबह और शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
हनुमान जी की आरती हर दिन होती है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को इसका विशेष महत्व होता है।
लड्डू, बूंदी, या गुड़-चना हनुमान जी को बहुत पसंद है, आप आरती के समय ये प्रसाद चढ़ा सकते हैं।
दोनों का महत्व है. अगर आप गा सकते हैं तो और अच्छा है, लेकिन सिर्फ श्रद्धा से सुनना भी लाभकारी है।
हां, हरिहरन की आवाज में एक गहरापन और भक्ति भावना है जो मन को शांत और भक्ति में डूबा देती है।